देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर 75 सप्ताह पूर्व आजादी का अमृत महोत्सव शुरू होने जा रहा है। पूरे देश में यह महोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए हर राज्य ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
हम सभी जानते हैं कि 12 मार्च 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की थी। 2020 में नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने के पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत पदयात्रा को हरी झंडी दिखाकर की। सोमवार को केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने 75 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर ली है। अब इस महोत्सव की रूपरेखा तय करने के लिए गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति बनाई गई है।
आजादी का अमृत महोत्सव : इस तारीख तक जारी रहेगा महोत्सव
15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से एक साल पहले यानी 15 अगस्त 2021 से इन कार्यक्रमों को शुरुआत की जाएगी। जिसमें देश की अदम्य भावना के उत्सव दिखाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इनमें संगीत, नृत्य, प्रवचन, प्रस्तावना पठन (प्रत्येक पंक्ति देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली विभिन्न भाषाओं में) शामिल हैं। युवा शक्ति को भारत के भविष्य के रूप में दिखाते हुए गायकवृंद में 75 स्वर के साथ-साथ 75 नर्तक होंगे। यह कार्यक्रम 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेंगे।
आजादी का अमृत महोत्सव : नमक सत्याग्रह की तरह 25 दिन में तय करेंगे 241 मील का रास्ता
दांडी मार्च की तर्ज पर इस कार्यक्रम की शुरुआत फ्रीडम मार्च नामक पदयात्रा से की जाएगी। यह यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर दांडी तक जाएगी। दांडी यात्रा में महात्मा गांधी सहित 80 स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था, इसी बात को ध्यान में रखकर इस फ्रीडम मार्च में भी 80 पदयात्रियों को शामिल किया गया है। 241 मील की यह यात्रा 25 दिन में 5 अप्रैल को समाप्त होगी। दांडी के रास्ते में विभिन्न समूहों के लोग पदयात्रा में शामिल होंगे। इस यात्रा के पहले चरण का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल कर रहे हैं। इसमें बीजेपी के कई बड़े नेता जैसे गिरिराज सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, सांसद देवू सिंह चौहान, विधायक अर्जुन सिंह चौहान भी शामिल हुए हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव : चरखे के रास्ते वोकल फॉर लोकल
इस आयोजन के माध्यम से ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। इसे लोकप्रिय बनाने के लिए साबरमती आश्रम में मगन निवास के पास एक चरखा स्थापित किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति जब कोई भी स्थानीय उत्पाद खरीदेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’ का इस्तेमाल करते हुए उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करेगा तो आत्मनिर्भरता से संबंधित प्रत्येक ट्वीट के साथ यह चरखा एक बार घूमेगा।
आजादी का अमृत महोत्सव : राज्यों ने 25 करोड़ रुपये तक का तय किया बजट
एएनआई के मुताबिक तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने आजादी का अमृत महोत्सव का जश्न मनाने के लिए 25 करोड़ रुपये के बजट को मंजूर दी है। इसके साथ ही राज्य के 75 महत्वपूर्ण केंद्रों पर तिरंगा लगाने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की है कि पूरे राज्य में 75 सप्ताह स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसके जरिए देशभक्ति का संदेश देने और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाने की कोशिश की जाएगी।
अमृत महोत्सव यानी नए संकल्पों का अमृत
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी आत्मनिर्भरता का अमृत।
आजादी का अमृत महोत्सव : देश की 75वीं वर्षगां का यह है मतलब
देश की 75 वीं वर्षगांठ का मतलब 75 साल पर विचार, 75 साल पर उपलब्धियां, 75 पर एक्शन और 75 पर संकल्प शामिल हैं, जो स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।
दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ पर क्यों शुरू किया अमृत महोत्सव
नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। महात्मा गांधी ने देश के दर्द को महसूस किया और नमक सत्याग्रह के रूप में लोगों की नब्ज को समझा, इसलिए वह आंदोलन जन-जन का आंदोलन बन गया था। इसलिए आज ही के दिन इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है ताकि आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो सके और भारत के विकास से दुनिया के विकास को भी प्रोत्साहन मिले। यह बात प्रधानमंत्री ने 12 मार्च को कही थी।
आजादी का अमृत महोत्सव : दांडी मार्च का ऐतिहासिक महत्व
दांडी मार्च को नमक सत्याग्रह के तौर पर भी जाना जाता है। 1930 में अंग्रेजी शासन में भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था। उन्हें इंग्लैंड से आने वाला नमक का ही इस्तेमाल करना पड़ता था। इतना ही नहीं, अंग्रेजों ने इस नमक पर कई गुना कर भी लगा दिया था। लेकिन नमक जीवन के लिए आवश्यक वस्तु है इसलिए इस कर को हटाने के लिए गांधी ने यह सत्याग्रह चलाया था।
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