Sunday, July 11, 2021

World population day (11 July 2021)

 विश्व जनसंख्या दिवस 2021


दुनियाभर में इसी बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे (विश्व जनसंख्या दिवस) मनाया जाता है। कब हुई इसकी शुरुआत? 11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र ने आम सभा में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया था।


दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या परेशानी का एक बड़ा कारण बन गई है। इसकी वजह से अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी अनियंत्रित होती जा रही है। वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, इस समय दुनिया की कुल जनसंख्या सात अरब 87 करोड़ 85 लाख से भी अधिक है। हर दिन लाखों की संख्या में जनसंख्या बढ़ रही है। फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश चीन है, जबकि दूसरे स्थान पर भारत है। चीन की जनसंख्या जहां एक अरब 44 करोड़ से अधिक है, तो वही भारत की जनसंख्या एक अरब 39 करोड़ से अधिक है।

हालांकि बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे समाधान मौजूद हैं, लेकिन लोगों में इसकी जागरूकता की कमी है। दुनियाभर में इसी बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे (विश्व जनसंख्या दिवस) मनाया जाता है। 

कब हुई इसकी शुरुआत? 

11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र ने आम सभा में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया था। दरअसल, साल 1987 तक दुनिया की जनसंख्या पांच अरब के पास पहुंच चुकी थी, जो चिंता का विषय बन गई थी। इसीलिए दुनियाभर के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाने की शुरुआत की गई। 

क्या है विश्व जनसंख्या दिवस की थीम? 

इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम 'कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव' है। इस साल यह वैश्विक स्तर पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और प्रजनन व्यवहार पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर अधिक प्रकाश डालने के लिए मनाया जाएगा। 

इस दिन पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह से उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है। इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी बातचीत की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके। 

चीन के बाद भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. जहां दुनिया के 18.47% में चीन का योगदान है, वहीं भारत वैश्विक आबादी के 17.70% हिस्से में है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र कहता है कि जनसंख्या में वृद्धि बड़े पैमाने पर प्रजनन आयु तक जीवित रहने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि और प्रजनन दर में बड़े बदलाव, शहरीकरण में वृद्धि और प्रवास में तेजी के साथ हुई है. यह चेतावनी देता है कि आने वाली पीढ़ियों पर इसका असर होगा. इस समस्या को दूर करने के लिए विश्व स्तर पर जनसंख्या मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए.


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